The Vent Machine wishes you a Happy Makar Sankranti 2019.
आज मकर संक्रांति है ।इसे बिहार में सकरात या दही चूड़ा भी बुलाते हैं । हमारे यहाँ कुछ त्योहार बहुत बड़े पैमाने पे मनाये जाते हैं – जैसे दुर्गा पूजा या दिवाली । सकरात उनमे से नहीं है क्यूंकि इस पर्व में ज़्यादा लाम-काफ़ नहीं होता । लेकिन फिर भी इस त्योहार की बचपन से एक ख़ास जगह रही है । जनवरी में स्कूल खुलने के बाद और छब्बीस जनवरी के पहले ये एक ऐसा दिन होता था जिसका हम इंतज़ार करते थे । एक तो स्कूल से छुट्टी मिलती थी ऊपर से खाने के लिए बहुत ख़ास भोजन मिलता था – दही, चूड़ा, गुड़, तिलकुट, लाई और दो तीन तरह की सब्ज़ी – अधिकतर आलू कटहल और आलू गोभी ।
वैसे तो दही चूड़ा बिहार के लोग आम दिनों में भी बड़े चाव से कहते हैं लेकिन पता नहीं सकरात के दिन जो स्वाद आता है वो कुछ अलग ही होता है । मुझे बचपन में बेगूसराय में बीता हर सकरात याद है – कभी बरियारपुर से भैंस के दूध की दही आती थी तो कभी मंझौल से कोई बासमती चूड़ा पंहुचा जाता था । दही चूड़ा खाने के बाद हम धूप में चटाई बिछा कर बैठा करते थे और बातें करते-करते अक्सर सो जाते थे । असल में दही चूड़ा खाने पर पेट बहुत भर सा जाता है और बड़ी अच्छी नींद आती है ।

रात को खिचड़ी, चोखा, घी और अचार खाकर त्योहार का समापन होता था । सकरात असल में सूर्य देवता के पूजा के लिए मनाया जाता है – माना जाता है कि यहाँ से ठण्ड ख़त्म और सूर्य भगवान् का पूरे प्रताप के साथ धीरे-धीरे आगमन शुरू ।
बड़ी हुई तो जाना कि अब सकरात पर मायके और ससुराल में तिलवा चूड़ा आदि का आदान प्रदान होता है । मैं तो पिछले दो वर्ष से पती के साथ विदेश में हूँ । घर की बहुत याद आती है लेकिन हम ख़ुशी इस बात की है कि हम तो यहाँ भी सकरात मन लेते हैं । इस वर्ष भी मनाया – सवेरे उठकर सब्ज़ी बनायी, तिलकुट, तिल, गुड़, दही आदि सब कुछ लेकर आये और साथ में चूड़ा दही खाया । ये छोटी-छोटी परम्पराएं बहुत महतवपूर्ण लगने लगी हैं । शायद इनकी महत्ता की समझ इतनी बचपन में नहीं थी ।
अब जब घर, देश और संस्कृति से दूर हूँ तो छोटे-छोटे पलों को ख़ास बनाकर खुद को घर का हिस्सा महसूस करना अच्छा लगता है । आशा है आप सब ने भी आज मकर संक्रांति मनाई होगी । TVM की ओर से आप सबको सकरात की बधाई ।
This post talks about Makar Sakranti in Bihar and its importance.
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