वो प्यार करता है
समझाता है, समझता है
मेरी बातों को परखता है
जब बिना बात मैं लड़ जाऊं
बचकानी ज़िद पे अड़ जाऊं
जब मैं उसकी बातों को
जान के भी, बेवजह, अकड़ जाऊं
मुझपे गुस्सा करता है
समझाता है, समझता है
मेरी बातों को परखता है
वो प्यार करता है
जब-जब मेरा दिल डरता है
कि कहीं मैं उसको खो ना दूं
जब-जब ये मन घबराता है
यूँ लगता है कि रो ना दूं
बाहों में लेकर, मेरे आंसू पोछता है
समझाता है, समझता है
मेरी बातों को परखता है
वो प्यार करता है
दूरी हमको मंज़ूर नहीं
न मुझे पसंद ना उसे रास
लेकिन अपनी मजबूरियों से
नहीं रह पाते हम हमेशा पास
पर कभी जो मौका मिल जाये
कि एक पल भी जी लें ज़रा
अपने पास बुलाता है
या ख़ुद ही चला आता है
वो प्यार करता है
मेरी आँखों का तारा है
जीने की वजह और सहारा है
उसके चेहरे की वो हँसी
वो प्यारी आँखें, वो दिल्लगी
मुझको दीवाना करती हैं
उसकी ओर ले जाती हैं
उसके बिना नहीं जीना
और कोई बात नहीं
ये मेरा उसका राज़ है
कि वो प्यार करता है
Very well written ma’am.This poem can make anyone speechless😊😍
Thanks dear