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तुम्हारी उदासी तुम्हारी परेशानियां
नहीं देख सकती
तुम्हारी आँखों में आंसू, तुम्हारे माथे पर शिकन
नहीं देख सकती
मुश्किल है नज़ारा तुम्हारे दुःख के मंज़र का
निराशा भरी आँखें और दुखी चेहरा तुम्हारा
नहीं देख सकती
नहीं मंज़ूर है कि कोई मुश्किल वक़्त तुम्हे छूए
नहीं पसंद कि तुम्हारे चेहरे कि हँसी कहीं खोये
तुम्हारी नाराज़गी तुम्हारी बेरुखी
नहीं झेल सकती
तुम्हारे तकलीफ़ और तुम्हारी कठिनाइयां
नहीं देख सकती
बेकार सा लगने लगता है मेरा होना मुझे
क्या फ़ायदा इस जीवन का, जब तुमपर आंच आने से
नहीं रोक सकती?
चाहती हूँ टूटकर तुम्हे क्योंकि तुम रब हो मेरे
जो मेरे लिए जीता है
ए खुदा! मैं उसकी ख़ुशी के लिए क्यों नहीं मर सकती ??
अगर बदले में जान भी लेनी हो तो ले ले उपरवाले
लेकिन, तेरे वजूद कि क़सम
उसकी आँखें नम हों जाएँ, वो नज़ारा मैं नहीं देख सकती..
नहीं देख सकती..