जिस तरह चाहती हूँ उस तरह नहीं
लेकिन हाँ, मैं हूँ
मैं उसकी राहत हूँ, मैं उसकी चाहत हूँ
जिस तरह सोचती हूँ उस तरह नहीं
लेकिन हाँ, मैं हूँ
मैं उसका प्यार हूँ, उसकी ज़िन्दगी में शुमार हूँ
जिस तरह के सपने हैं वैसे नहीं
लेकिन हाँ, अस्तित्व है
उस ख्वाब का, उस ख्वाहिश का
मैं उसके होने में हूँ, दिल के किसी कोने में हूँ
मैं वो हूँ जो वो जीना चाहता है,
लेकिन कभी जी न सका
मैं वो हूँ जिस जाम को चखने की चाह तो थी,
लेकिन कभी पी न सका
पूरी तरह तो नहीं, लेकिन हाँ, मैं हूँ
मैं वो आसमान हूँ, जिसमे वो खुल के उड़ लेना चाहता है
मैं वो समंदर हूँ, जिसकी आगोश में वो समां जाना चाहता है
मैं वो ज़मीन हूँ, जो उसके तले कभी आयी ही नहीं
मैं वो किताब हूँ, जिसे वो अधूरी ही सही, पढ़ लेना चाहता है
जिस तरह सोचती हूँ उस तरह नहीं
लेकिन हाँ, मैं हूँ
मैं वो हसीं सपना हूँ जो असलियत और ख्वाहिशों के बीच की लकीरों को मिटा देती है
मैं वो आकांक्षा हूँ जो हासिल होकर भी अपनी नहीं
जिस तरह सोचती हूँ उस तरह नहीं
लेकिन हाँ, मैं हूँ
लेकिन इस होने ना होने की कशमकश में मेरे अस्तित्व का जनाज़ा हो रहा
उसकी चाहत और उसके प्यार में, मेरे इश्क़ का तकाज़ा खो रहा
हूँ तो सही, यही सोच कर खुश हो लेती हूँ
लेकिन जो नहीं हूँ, उसके ग़म में मेरा वजूद रवाना हो रहा
खैर…
जिस तरह सोचती हूँ उस तरह नहीं
लेकिन कम से कम , मैं हूँ
beautiful expressions!
Glad to have a co-writer back… Thank you for the encouragement (always).. 🙂
appreciable..very well curated thoughts..
Beautiful
Thanks